छत्तीसगढ़ का इतिहास हिंदी में | History of Chhattisgarh in Hindi

छत्तीसगढ़ का इतिहास

छत्तीसगढ़ का इतिहास | Chhattisgarh ka itihas in hindi

इतिहास की परिभाषा –

इतिहास एक घटना है, जब हम उस घटना के सम्बन्ध में पुरातात्विक एवं सहित्यिक साक्ष्य के माध्यम से जानकारी प्राप्त करते है, उसे हम इतिहास कहते है।

इतिहास को हम समय के हिसाब से तीन भागों में बाँटा गया है –

1) प्रागैतिहासिक काल (5 लाख से 3500 BC)

प्रागैतिहासिक काल में हमे एक भी लिखित साक्ष्य प्राप्त नहीं हुआ है। हमे केवल पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुआ है।

2) आद्य ऐतिहासिक काल (3500 से 600 BC)

आद्य ऐतिहासिक काल में हमे लिखित साक्ष्य और पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुआ है।

3) एतिहासिक काल (600 BC से वर्तमान काल)

एतिहासिक काल 600 BC से लेकर वर्तमान काल तक है।

छत्तीसगढ़ के इतिहास के बारे में

छत्तीसगढ़ का इतिहास एक प्राचीन इतिहास है। यह एक मध्य भारत में स्थित है, जो छत्तीसगढ़ राज्य के नाम से जाना जाता है। जो हजारों वर्षो से समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य को हम दक्षिण कौशल के नाम से भी जानते है। छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश के दक्षिण पूर्व में स्थित है।

छत्तीसगढ़ राज्य पहले मध्यप्रदेश में आता था। जो 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से अलग होकर एक भारत का नया राज्य छत्तीसगढ़ बना। जो भारत का 26 वाँ राज्य छत्तीसगढ़ है।

छत्तीसगढ़ के इतिहास को हम 3 भागों में देख सकते है –

1) प्राचीनकाल

2) मध्यकालीन काल

3) आधुनिक काल

1) प्राचीनकाल

छत्तीसगढ़ राज्य भारत का एक बहुत खूबसूरत राज्य है, छत्तीसगढ़ राज्य के प्राचीन काल के इतिहास बेहद समृद्ध है। प्राचीन काल से ही छत्तीसगढ़ राज्य कई क्षेत्रो सभ्यताओं का केंद्र माना जाता है। आइए हम छत्तीसगढ़ राज्य के प्राचीन काल के इतिहास के बारे में जानते है –

1) पाषाण काल

2) भारतीय राजवंश एवं छत्तीसगढ़ की स्थिति –

i) मौर्य वंश
ii) सातवाहन
iii) कुषाण वंश
iv) गुप्ता वंश
v) वाकाटक

3) छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश –

i) राजर्षितुल्य वंश
ii) नलवंश
iii) शरभपुरीय वंश
iv) पांडु या सोम वंश

2) मध्यकालीन काल

छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास केवल प्राचीन काल से सीमित नहीं है, बल्कि मध्यकालीन काल में इस क्षेत्र में कई उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। इस मध्यकालीन काल में कई राजवंशों का उदय और पतन हुआ है, जो छत्तीसगढ़ के इतिहास में संस्कृति और सामाजिक स्थिति पर गहरा प्रभाव भी पड़ा है।

मध्यकालीन काल में छत्तीसगढ़ के इतिहास –

1) कांकेर – सोमवंश का शासन था।
2) कवर्धा – फनी नाग वंश का शासन था।
3) पाली (कोरबा) – बाण वंश का शासन था।
4) दक्षिण कौशल – सोम वंश का शासन था।
5) बारसुर – छिदंत नाम वंश का शासन था।
6) बस्तर – काकतीय स्थापित राज्य का शासन 1324 में किया था।
7) अन्य राज्य

3) आधुनिक काल

आधुनिक काल में छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक मुख्य घटना का स्थापित हुआ। यह एक ऐसा कल है जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के रूप में एक अलग पहचान बनाई और ऊंचाई को छुआ। जो छत्तीसगढ़ राज्य के नाम से जाना जाता है।

आइये अब हम जानते हैं, छत्तीसगढ़ राज्य की आधुनिक काल के बारे में –

1) मराठा शासन 1758 से 1854 तक शासन रहा।
2) ब्रिटिश शासन 1854 से 1947 तक छत्तीसगढ़ में शासन रहा।
3) प्रमुख आंदोलन एवं विद्रोह (किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन, जाती विद्रोह आंदोलन आदि)
4) राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की भूमिका (1885 – 1987)
5) संविधान सभा में छत्तीसगढ़ की स्थिति।
6) प्रमुख रियासत एवं जमीदारी।
7) छत्तीसगढ़ राज्य के गठन का इतिहास।
8) अन्य प्रमुख तथ्य

कलचुरी वंश

मध्यकालीन काल में कलचुरी वंश वह वंश है, जिसमें जितने भी राजवंश थे। मध्यकालीन काल में जो शासन करते थे वह सभी खत्म हो गया। कलचुरी वंश के आने के बाद। माना जाता है कि कलचुरी वंश बहुत शक्तिशाली हुआ करते थे। इसलिए तो जितने भी राजवंश थे। वह सभी खत्म हो गया कलचुरी वंश के आने की बाद।

सभी राजवंश के राजाओं को कलचुरी वंश खत्म कर देता है। उसके बाद संपूर्ण छत्तीसगढ़ में कलचुरी वंश स्थापित होता है, छत्तीसगढ़ में कलचुरी वंश की स्थापना की बात करें तो दसवीं शताब्दी में हुआ था। कलचुरी वंश में 1971 में मराठों का आक्रमण होता है।

मराठा शासन (1758-1854)

कलचुरी वंश के बाद छत्तीसगढ़ में 1758 से लेकर 1854 तक मराठा शासन करता है।

ब्रिटिश शासन (1854-1947)

मराठा शासन के बाद छत्तीसगढ़ में 1854 से लेकर 1947 तक ब्रिटिश शासन रहता है।

पुरातात्विक साक्ष्य

पुरातात्विक साक्ष्य की पहचान के लिए कोई वस्तु जैसे मंदिर, सिक्के, ताम्र पत्र, मोहरी के रूप में, शिलालेख या गुफा के रूप में हो इसी को हम पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में जानते हैं।

पुरातात्विक साक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्खनन करते हैं जिससे हमें सभी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त होता है। उत्खनन के लिए पुरातात्विक विभाग भी होता है, जो इस प्रक्रिया को अवगत करता है, इसके निर्देशन के अनुसार कार्य को संपन्न करता है।

पुरातात्विक साक्ष्य की खोज –

पुरातात्विक साक्ष्य की खोज छत्तीसगढ़ में सबसे पहली बार 1953 से लेकर 1956 के बीच महासमुंद के सिरपुर में मोरेश्वर गंगाधर दीक्षित के द्वारा संपन्न हुआ था।

पुरातात्विक साक्ष्य की खोज छत्तीसगढ़ में हुआ था जो निम्न है –

1) 1953 से 1956 (महासमुंद के सिरपुर में हुआ था।)
2) 1956 से 1957 (बालोद की धनोरा में हुआ था।)
3) 1975 से 1978 (बिलासपुर के मल्हार में हुआ था।)
4) 1971 से 1993 (बिलासपुर के करकाभाठा में हुआ था।)

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